Tuesday, January 18, 2011

Press Reliese

प्रेस विज्ञप्ति
दिनांक १५.०१.२०११, पटना

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देद्गा के अनुसार सरकार सभी बेघरों के लिये घर की व्यवस्था करे। इस आलोक में हमें कहना यह है, बेघरों के लिये घर की व्यवस्था तो दूर अभी तक उनके शीतलहरी से बचाव के लिये सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं।

रोजी-रोजगार के लिये शहरों में गाँव से लोग पलायन करते हैं, और सड़कों के फुटपाथ पर ही उनका बसेरा होता है। इस ठंढ में भी वे इसी तरह रहे। सरकार ने कुछ जगहों पर अलाव की व्यवस्था तो की लेकिन वह पर्याप्त नहीं था। किसी भी जिले में आसमान के ठंढ ओस से बचने के लिये तात्कालिक टेंट की न तो व्यवस्था की और ना ही उन गरीबों को गर्म कपड े और कंबल ही बांटा गया। 

दिनांक १५.१२.२०१० को सवोच्च न्यायालय के आयुक्त, राष्ट्रीय सलाहकार और राज्य सलाहकार के साथ बैठक में विकास आयुक्त ने कहा था कि ५० रैन बसेरा की व्यवस्था जल्द ही की जायेगी। साथ ही पूर्व निर्मित रैन बसेरा को अनाधिकार कब्जे से मुक्त कराया जायेगा। अतः हमने उनसे अनुरोध किया है कि इस संदर्भ में जल्द से जल्द कदम उठाया जाये।

जैसा की केन्द्रीय और राज्य सरकार के आँकड ों से पता चलता है कि कुपोषित बच्चे, बुढे एवं महिलाओं की संखया बहुत अधिक है साथ ही बेघरों की संखया भी ज्यादा है। इस कड कड ाते ठंढ में उनकी क्या स्थिति रही होगी कल्पना से परे है। ऐसे लोगों की मृत्यु जब कुपोषण से होती है तो सरकार कहती है कि यह मौत तो बिमारी से हुयी है।

ठंढ से बचाव के लिये हमने १६.१२.२०१० तथा २७.१२.२०१० को एक पत्र और पटना में खुले आसमान के नीचे रह रहे गरीबों पर एक रिपोर्ट भी सरकार को दिया था। इसके साथ अनुरोध किया था कि गरीबों के लिये तात्कालिक टेंट की व्यवस्था, कंबल वितरण और पर्याप्त मात्रा में अल.ाव की व्यवस्था की जाये। जैसा की सरकार के माध्यम से पता चला कि एक बड़े जिले में १.२५ लाख एवं छोटे जिलों के लिये २५ हजार अलाव के लिये आवंटित किया गया था जो कि अपने आप में पर्याप्त नहीं है। परन्तु खेद की बात यह है कि इसका भी जिला प्रशासकों के द्वारा जिला स्तर पर ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया। बेतिया, औरंगाबाद, सीतामढ ी और पटना के जिला अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने आश्वासन तो दिया कि अलाव की उचित व्यवस्था की जा रही है परन्तु सड कों पर घुमने से और लोगों से बात करने पर अर्न्तविरोध दिखा। औरंगाबाद जिला अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में सदर अनुमण्डलाधिकारी से बात करें। सर्वेक्षण के द्वारा वहाँ शहर के फुटपाथ पर रह रहे लोगों से पता चला कि पिछले वर्ष तक अलाव की व्यवस्था थी परन्तु इस वर्ष अभी तक कुछ दिख नहीं रहा है। समाजिक संगठनों के द्वारा कई जगहों पर गरीबों की मदद दिखी है परन्तु सरकार अपनी दायित्वों को पुरा नहीं कर पा रही है। 

सरकारी सूत्रों से पता चला है कि समाजिक कल्याण मंत्रालय गरीबों के बीच कंबल वितरण करेगी। परन्तु यह कब की जायेगी, गर्मी आने के बाद? ठंढ में तो कमी आयी है अतः सरकार को बचाव के लिये मौसम ने मौका दे ही दिया है परन्तु गरोबों के प्रति ऐसी उदासीनता अक्सर देखने को मिल रहा है। गरीबों का अनदेखी करना सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की अवहेलना है। 

(रुपेश)

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