The Supreme Court passed order on 10.02.2010 every state government and UTs to build one homeless shelter for every 1 lakh population to accommodate 100 persons in every cities having population more than 5 lakh and covered under JNNURM.
Tuesday, January 18, 2011
Press Reliese
प्रेस विज्ञप्ति
दिनांक १५.०१.२०११, पटना
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देद्गा के अनुसार सरकार सभी बेघरों के लिये घर की व्यवस्था करे। इस आलोक में हमें कहना यह है, बेघरों के लिये घर की व्यवस्था तो दूर अभी तक उनके शीतलहरी से बचाव के लिये सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं।
रोजी-रोजगार के लिये शहरों में गाँव से लोग पलायन करते हैं, और सड़कों के फुटपाथ पर ही उनका बसेरा होता है। इस ठंढ में भी वे इसी तरह रहे। सरकार ने कुछ जगहों पर अलाव की व्यवस्था तो की लेकिन वह पर्याप्त नहीं था। किसी भी जिले में आसमान के ठंढ ओस से बचने के लिये तात्कालिक टेंट की न तो व्यवस्था की और ना ही उन गरीबों को गर्म कपड े और कंबल ही बांटा गया।
दिनांक १५.१२.२०१० को सवोच्च न्यायालय के आयुक्त, राष्ट्रीय सलाहकार और राज्य सलाहकार के साथ बैठक में विकास आयुक्त ने कहा था कि ५० रैन बसेरा की व्यवस्था जल्द ही की जायेगी। साथ ही पूर्व निर्मित रैन बसेरा को अनाधिकार कब्जे से मुक्त कराया जायेगा। अतः हमने उनसे अनुरोध किया है कि इस संदर्भ में जल्द से जल्द कदम उठाया जाये।
जैसा की केन्द्रीय और राज्य सरकार के आँकड ों से पता चलता है कि कुपोषित बच्चे, बुढे एवं महिलाओं की संखया बहुत अधिक है साथ ही बेघरों की संखया भी ज्यादा है। इस कड कड ाते ठंढ में उनकी क्या स्थिति रही होगी कल्पना से परे है। ऐसे लोगों की मृत्यु जब कुपोषण से होती है तो सरकार कहती है कि यह मौत तो बिमारी से हुयी है।
ठंढ से बचाव के लिये हमने १६.१२.२०१० तथा २७.१२.२०१० को एक पत्र और पटना में खुले आसमान के नीचे रह रहे गरीबों पर एक रिपोर्ट भी सरकार को दिया था। इसके साथ अनुरोध किया था कि गरीबों के लिये तात्कालिक टेंट की व्यवस्था, कंबल वितरण और पर्याप्त मात्रा में अल.ाव की व्यवस्था की जाये। जैसा की सरकार के माध्यम से पता चला कि एक बड़े जिले में १.२५ लाख एवं छोटे जिलों के लिये २५ हजार अलाव के लिये आवंटित किया गया था जो कि अपने आप में पर्याप्त नहीं है। परन्तु खेद की बात यह है कि इसका भी जिला प्रशासकों के द्वारा जिला स्तर पर ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया। बेतिया, औरंगाबाद, सीतामढ ी और पटना के जिला अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने आश्वासन तो दिया कि अलाव की उचित व्यवस्था की जा रही है परन्तु सड कों पर घुमने से और लोगों से बात करने पर अर्न्तविरोध दिखा। औरंगाबाद जिला अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में सदर अनुमण्डलाधिकारी से बात करें। सर्वेक्षण के द्वारा वहाँ शहर के फुटपाथ पर रह रहे लोगों से पता चला कि पिछले वर्ष तक अलाव की व्यवस्था थी परन्तु इस वर्ष अभी तक कुछ दिख नहीं रहा है। समाजिक संगठनों के द्वारा कई जगहों पर गरीबों की मदद दिखी है परन्तु सरकार अपनी दायित्वों को पुरा नहीं कर पा रही है।
सरकारी सूत्रों से पता चला है कि समाजिक कल्याण मंत्रालय गरीबों के बीच कंबल वितरण करेगी। परन्तु यह कब की जायेगी, गर्मी आने के बाद? ठंढ में तो कमी आयी है अतः सरकार को बचाव के लिये मौसम ने मौका दे ही दिया है परन्तु गरोबों के प्रति ऐसी उदासीनता अक्सर देखने को मिल रहा है। गरीबों का अनदेखी करना सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की अवहेलना है।
(रुपेश)
Press Confrence
प्रेस आमंत्रण
दिनांकः १५.०१.२०११ को ०१ बजे दिन में संवाददाता सम्मेलन
सेवा में,
सम्पादक
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महोदय,
सर्वोच्च न्यायालय के बेघरों से संबंधित आदेद्गा के आलोक में वर्तमान चल रही शीतलहरी में बेघरों की बदहाली और सरकार की उदासीनता पर प्रेस संवाददाता सम्मेलन का आयोजन १५.०१.२०११ को १ बजे दिन में आब्दिन हाउस, फ्रेजर रोड, पटना में किया गया है। इसे सवोच्च न्यायालय के आयुक्त के सलाहकार संबोधित करेंगे।
धन्यवाद,
प्रभाकर कुमार
(रिसर्चर)
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आप सभी जानते हैं कि प्रदेश में कड़ाके की ठंढ पड रही है। बिहार की आबादी का एक बड ा हिस्सा सड कों पर गुजारा करता है। गाँव से काम की तलाश में शहर आये हुये लोग खुले आसमान के नीचे किसी तरह एक चादर या एक कंबल अथवा बोरे के सहारे ठिठुर कर रात बिताने को मजबूर हैं। पिछले कुछ दिनों से ठंढ काफी बढ चुकी है। बुढ े औरत मर्द, बच्चे और असहाय लोग ठंढ से अपने को बचाने की किसी प्रकार जद्दोजहद कर रहे हैं।
इस संबंध में हमारी एक टीम २६ दिसम्बर की रात ९ बजे से ११ बजे तक पटना के सड कों पर गुजारा कर रहे लोगों का मुआयना किया और उसकी रिपोर्ट मुखय सचिव (बिहार सरकार), प्रधान सचिव (आपदा प्रबंधन) तथा जिलाधिकारी पटना को सौंपी गयी। यह रिपोर्ट दैनिक समाचार पत्र 'आज' में प्रकाशित भी हुई। इसके पहले १६.१२.२०१० को एक पत्र मुखय सचिव, बिहार सरकार को लिखा गया था, जिसमें सड कों पर रहने वाले लोगों को ठंढ से बचाने के लिये तात्कालिक टेंट, गरम कपड े, कंबल, अलाव आदि की व्यवस्था करने की अपील की गई थी।
बेघरों के रहने के लिये व्यवस्था संबंधी सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों को आदेद्गा दिया है। इस संदर्भ में तारीख १५ दिसम्बर २०१० को सर्वोच्य न्यायालय के आयुक्त श्री हर्ष मंदर, राष्ट्रीय सलाहकार डॉ. सज्जाद हसन (आई० ए० एस.०), राज्य सलाहकार श्री रुपेद्गा ने विकास आयुक्त (बिहार सरकार) और संबंधित विभागों के प्रधान सचिव के साथ बैठक की। बैठक में सवोच्य न्यायालय के आदेद्गा के मुताबिक राज्य सरकार ने बेघरों एवं सड क पर रहने वालों के लिये व्यवस्था की बात कही।
आपदा प्रबंधन विभाग के कार्यालय में श्री रामविलास पाठक, संयुक्त सचिव ने हमलोगों को जानकारी दी कि आपदा प्रबंध विभाग ने प्रत्येक जिले को १.५ लाख रुपये की राद्गिा ठंढ से लोगों को बचाने के लिये मुहैयाा करा दी गयी है। इसके अलावा सरकारी दावा यह भी है कि गरीबों को ठंढ से बचाने के लिए प्रत्येक जिले में एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। परन्तु खेद की बात यह है कि आज तक लोगों को इस कंपकंपाती ठंढ से राहत दिलाने के लिये प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि गरीब लोग ठंढ से मर रहे हैं और सरकारी तंत्र द्वारा लोगों को बचाने के दावे किये जा रहे हैं।
निस्संदेह यह समस्या पूरे समाज की समस्या है। हमने अपनी ओर से इंसानियत के नाते दिनांक ३ जनवरी २०११ को स्थानीय कदमकुआं स्थित बुद्धमूर्ति गोलंबर के पास लोगों के बीच गर्म कपड़ों का वितरण किया। आप सबों से भी अपील है कि इस संदर्भ में राज्य सरकार व जिला प्रशासन पर दबाव बनायें, साथ ही आप अपने स्तर से भी सड क पर रहने वाले लोगों के लिये तात्कालिक टेंट, गरम कपड े, कंबल, अलाव आदि की व्यवस्था करने की कोशिश करें। इसके लिये सक्षम लोगों से भी व्यवस्था करवाने की पहल करें।
निवदेक
रूपेश, संजय कुमार, नीलू, नवल किशोर कुमार, ऋत्चिज कुमार, विकास, भूषण प्रसाद, प्रभाकर जैनेंद्र, शैला परवीण, विशाखा, पप्पु कुमार
लोक परिषद, आब्दीन हाउस, फ्रेजर रोड, पटना
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